"न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते"😥💓🙏
26 जुलाई 1999 का दिन , हा यही दिन हमारे लिए गौरव का क्षण लेकर आया ।। आज के दिन ही हमने पूरे विश्व के सामने अपनी वीरता , साहस और अदम्य शौर्य का डंका बजाया था ।।
हमारे देश के जवानों ने , "हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्"
(या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज भोगेगा।)
के गीता के श्लोक को सत्य साबित कर दिया था 😍😍😍😘
इस युद्ध में हमारे लगभग 527 से अधिक वीर योद्धा शहीद और 1300 से ज्यादा घायल हो गये थे ।।
इन सैनिकों ने शौर्य व बलिदान के उस सर्वोच्च परम्परा का निर्वाह किया , जिसकी सौगंध हर सिपाही तिरंगे के समक्ष लेता है।।
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशाँ होगा"💞 💞
इन शहीदों ने भी अपने परिजनों से वापस लौटकर आने का वादा किया था, जो उन्होंने निभाया भी, मगर उनके आने का अन्दाज निराला था। वे लौटे, मगर लकड़ी के ताबूत में। उसी तिरंगे मे लिपटे हुए, जिसकी रक्षा की सौगन्ध उन्होंने उठाई थी। जिस राष्ट्रध्वज के आगे कभी उनका माथा सम्मान से झुका होता था, वही तिरंगा मातृभूमि के इन बलिदानी जाँबाजों से लिपटकर उनकी गौरव गाथा का बखान कर रहा था।।😥😥😥😥
हम आज भी आँखों में नमी और दिल में सम्मान के साथ उनको याद करते है।।
जब तक देशवासियों के सीने में दिल और दिलों में धड़कन रहेगी तब तक आप लोगों की शहादत की गौरव गाथा गाई जायेगी।।
"बतंगड़ परिवार" आपके शहादत को नमन करता है 🙏🙏🙏💓💓
"थे धन्य जवान वो अपने , थी धन्य उनकी जवानी ,,
जरा याद उन्हें भी कर लो , जो लौट के घर ना आये।।
ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आँख में भर लो पानी ,,
जो शहीद हुये है उनकी , जरा याद करो कुर्बानी"😥😥💓💓💓🙏🙏🙏🙏
#बनारसी
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