सौरव गांगुली का नाम सामने आते ही मात्र एक क्रिकेटर का चेहरा सामने नहीं आता बल्कि बहुत सी यादें ताजा हो जाती हैं, सचिन तेंदुलकर के साथ शानदार ओपनिंग पार्टनरशिप.. लेफ्ट आर्म स्पिनर को आगे बढ़कर लगाया हुआ छक्का... तेज गेंदबाज पर मारी गई कवर ड्राइव.. सब दिमाग में घूमने लगते हैं. राइटहैंडर होने के बाद भी लेफ्टी बनके और शरीर का पिछला हिस्सा थोड़ा सा निकाल के सौरव गांगुली बनने की कोशिश सबने की है... मुहल्ले के लेफ्टी बल्लेबाज तो वैसे भी सौरव गांगुली ही मानकर चलते थे खुद को.
1996 में जब भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर गई तो टेस्ट सीरीज में दो ऐसे लड़के मिले जो लंबे समय तक भारतीय टीम के स्तंभ बने रहे.. उनमें से एक नाम था सौरव गांगुली... बंगाल से रणजी ट्रॉफी खेलने वाला नौजवान..
पहले टेस्ट में मौका नहीं मिला, इंग्लैंड ने ये मैच 8 विकेट से जीत लिया... दूसरे टेस्ट में नम्बर 3 पर बल्लेबाजी करने आए सौरव ने अद्भुत बल्लेबाजी का परिचय दिया... लगा ही नहीं कि ये उनका पहला टेस्ट मैच है. तेज गेंदबाजों के खिलाफ शानदार स्क्वेयर कट और कवर ड्राइव.... स्पिन के खिलाफ जादुई बल्लेबाजी.. तीसरे टेस्ट की पहली पारी में 137 और दूसरी में 48... हम ये सीरीज 0-1 से हार गए लेकिन दो शानदार युवा बल्लेबाज मिले, जो भारतीय क्रिकेट की गोल्डन जेनरेशन के ध्वजवाहक बने...
18 जनवरी 1998.... ढाका में इंडिपेंडेंस कप का फाइनल... भारत बनाम पाकिस्तान.. बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल्स में पहले दो मैचों में 1-1 की बराबरी के बाद तीसरा मैच.... पाकिस्तान ने 314 रनों के पहाड़ खड़ा कर दिया, उस समय 314 आज के 380 जैसा था... सौरव ने 124 रनों की पारी खेली और रॉबिन सिंह के साथ एक मैच जिताऊ साझेदारी की... आखिरी ओवर सकलेन मुश्ताक डाल रहा था, ओवर की पांचवीं गेंद जब हृषिकेश कानितकर के बल्ले से निकल कर बाउंड्री की ओर गई तो विश्वास नहीं हो रहा था कि हमने 300 से ऊपर का लक्ष्य चेज़ कर लिया.
मैच फिक्सिंग स्कैण्डल.... बड़े बड़े खिलाड़ियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे, कुछ पर प्रतिबंध लगा.... टीम में नए खिलाड़ी आये.. सौरव गांगुली को कप्तान बनाया गया.... इसके बाद भारतीय क्रिकेट में एक नई कहानी शुरू हुई... 2000 की चैंपियंस ट्रॉफी जिसमें युवराज सिंह और ज़हीर खान जैसे खिलाड़ियों की बदौलत टीम फाइनल तक गई.... इस टीम में कुछ अलग बात थी, नए खिलाड़ी स्लेजिंग का जवाब देना जानते थे... कप्तान की तरफ से जबरदस्ती की रोक टोक नहीं थी.. अगर अंग्रेजी में गाली दोगे तो बदले में BSDK सुनने को मिलेगा...
2001... ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा... इससे पिछली टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया यहाँ से हारकर गई थी... दौरे से पहले महान ऑस्ट्रेलियन कप्तान स्टीव वॉ ने भारत को "Final frontier" कहा था... वो 15 टेस्ट मैच लगातार जीतने के बाद भारत आए थे, मुम्बई में पहला टेस्ट मैच 3 दिनों में समाप्त हो गया, ऑस्ट्रेलियन टीम ने दस विकेट से डरा देने वाली जीत हासिल की... अगला मैच कोलकाता में, ऑस्ट्रेलिया ने 445 रनों का स्कोर खड़ा कर दिया और बदले में हमारी पहली पारी 171 पर सिमट गई... ऐसा लगा कि कुछ ही घन्टों में स्टीव वॉ अपना लक्ष्य पूरा कर लेंगे... अगले तीन दिनों में लक्ष्मण, द्रविड़ और हरभजन ने जो किया उससे स्टीव वॉ का इंतज़ार बढ़ गया और चेन्नई में भारत की जीत के साथ ये तय हो गया कि वॉ का भारत में टेस्ट सीरीज जीतने का सपना अभीh सपना रहेगा.
2002 में भारतीय टीम लॉर्ड्स में नेटवेस्ट सीरीज का फाइनल खेल रही थी.. मार्कस ट्रेसकौथिक और नासिर हुसैन के सैकड़ों के बाद एक बार फिर फाइनल में 300 से ऊपर का लक्ष्य... कप्तान सौरव और वीरू की तूफानी शुरुआत... उसके बाद हमेशा की तरह विकेटों का शीघ्रपतन... स्कोर 146 पर 5... दो नए लड़के क्रीज़ पर... युवराज और कैफ.. दोनों ने जो किया वो सोच के आज भी आदमी नॉस्टेल्जिया में चला जाता है.... इसके बाद लॉर्ड्स की बालकनी से जर्सी लहराते सौरव गांगुली.. वो तस्वीर आज भी भारतीय क्रिकेट फैन्स के मन में ताज़ा है.
23 मार्च 2003..... जोहानेसबर्ग का वांडरर्स स्टेडियम... बचपन का सबसे दर्द भरा दिन.... विश्वकप में एक शानदार कैम्पेन के बाद फाइनल में पहुँची भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से बुरी तरह हार गई.. आमतौर पर उस समय ये मानकर चलते थे कि ऑस्ट्रेलिया से तो हारना ही है, लेकिन उस विश्वकप में टीम के प्रदर्शन ने उम्मीदें जगा दी थीं...
खैर... टीम हार गई... रिकी पोंटिंग के बल्ले में स्प्रिंग वाली कहानियां मार्किट में चलती रहीं... हम धीरे धीरे बड़े होते रहे.... ऑस्ट्रेलिया से हारते और बाकी टीमों से जीतते रहे... इसके बाद चैपल एपिसोड हुआ लेकिन सौरव क्या करते, ये उनका खुद फैलाया हुआ सनीचर था... सनीचर वो खुद ही उठाकर लाये थे ऑस्ट्रेलिया से.... टीम से बाहर होना पड़ा पर उसके बाद शानदार वापसी भी की...
एक कप्तान के रूप में सौरव गांगुली की सबसे बड़ी सफलता यही रही कि उन्होंने टीम को लड़ना सिखाया... नए खिलाड़ियों का एक ग्रुप तैयार किया जिन्होंने लम्बे समय तक भारतीय क्रिकेट की सेवा की.... क्या हुआ जो उसने विश्वकप नहीं जीता...
#HappyBirthdayDada
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