सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की खंड पीठ ने आज आधार पर बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि ‘शिक्षा हमें अंगूठे से दस्तखत पर लाती है और तकनीक हमें दस्तखत से अंगूठे पर ले जा रही है’।
कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि स्कूल में एडमिशन के लिए आधार की मांग नहीं की जा सकती। साथ ही कोई भी मोबाइल कंपनी आधार नहीं मांग सकती। जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनूठा होना बेहतर है और आधार का अर्थ अनूठा है। उन्होंने कहा, ‘आधार से समाज के निचले तबके के लोगों को ताकत मिली है और उन्हें अलग पहचान मिली है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसी भी अवैध प्रवासी को आधार कार्ड जारी न हो और वो सरकारी योजनाओं का लाभ न ले सके। सरकार जल्द से जल्द एक मजबूत डाटा सुरक्षा कानून बनाये।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार आईटी रिटर्न आदि के बारे में विस्तार से जानकारी मांग सकती है, वित्तीय जानकारी और लेनदेन के बारे में जान सकती है। लेकिन अगर कोई अपनी पत्नी के साथ किसी रेस्टोरेंट में जाता है और खाना खाता है तो उस बारे में कोई कैसे जानकारी ले सकता है। ऐसे मामले में दखल नहीं दिया जा सकता है। सरकार आधार के लिए जो जानकारी ले चुकी है उस डेटा का इस्तेमाल अपने लिए कर सकती है, लेकिन व्यक्तिगत जानकारी का इस्तेमाल अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है।
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